If there is a war then Pakistan will be completely responsible for it

Editorial: युद्ध हुआ तो इसके लिए पूरी तरह ना-पाक होगा जिम्मेदार

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If there is a war then Pakistan will be completely responsible for it

If there is a war then Pakistan will be completely responsible for it: जो देश दूसरे देशों को शांति का संदेश देता हो, जो देश दूसरे देशों को आपसी समन्वय से मसलों के समाधान का आग्रह करता हो अगर वही युद्ध की तैयारियों में संलग्न दिखे तो यह उसकी विवशता समझी जानी चाहिए। विवशता युद्ध ओढ़ने की नहीं, अपितु विवशता दुश्मन के द्वारा इस बात की जरूरत को न समझ पाने की कि शांति क्या अर्थ रखती है। भारत वह देश है, जिसने आजादी से भी बहुत पहले से कभी किसी पर आक्रमण नहीं किया है, उसने कभी युद्ध किसी पर थोपा नहीं है, अपितु सदैव दूसरों के थोपे युद्ध का साहस से सामना किया है और दुश्मन को उसकी औकात से परिचित कराया है।

भारत का साहस अपरिमित है, लेकिन मौजूदा परिस्थितियां ऐसी हो गई हैं, जब उसे इसका अहसास कराना पड़ रहा है कि वह स्वयं शौर्य की हुंकार और शांति है। यह दुश्मन को चुनना है कि वह शांति चाहता है या फिर चोट खाए सिंह की हुंकार सुनना चाहता है।  देश में इस समय युद्ध की तैयारियों के हालात हैं। प्रधानमंत्री रोजाना उच्च  स्तरीय बैठकें कर रहे हैं, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, गृह मंत्री, वित्त मंत्री समेत दूसरे सभी विभागों के मंत्री एवं अधिकारी किसी गुप्त मिशन में संलग्न हैं। देश का मीडिया लगातार कवरेज कर रहा है, रोजाना नई सूचनाएं और खबरें सामने आ रही हैं। पाकिस्तान में जारी हलचल और वहां के हुक्मरानों के बयानों को सामने लाया जा रहा है। एलओसी पर पाकिस्तान की ओर से कायरतापूर्ण गोलाबारी का निरंतर भारतीय सेना की ओर से जवाब दिया जा रहा है। देश में अब बुधवार को युद्ध के समय हवाई हमले से बचने के सायरन बजाकर मॉक ड्रिल करवाई जाएगी। इस संबंध में केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय की ओर से सभी राज्य सरकारों को सूचित किया गया है।  

वास्तव में पूरे देश में यह जानने की बेचैनी है कि क्या होने वाला है। क्या सच में भारत, सिरफिरे और कर्जदार पाकिस्तान के साथ युद्ध  करने जा रहा है? क्या सच में इसकी जरूरत आ गई है कि 140 करोड़ वासियों का देश इतना विह्लल हो चुका है कि अब उसे अपने दुश्मन से बदला चाहिए। एक उस वीरांगना का संदेश हवाओं में है, जिसने पहलगाम में अपने पति को आतंकवादियों की गोलीबारी में खोया है। उसका कहना है कि हमें पाक के साथ युद्ध में नहीं उलझना चाहिए क्योंकि यह उसकी फितरत है। वह सिर्फ भारत का नहीं, अपितु पूरी इंसानियत का दुश्मन है। पाकिस्तान के हुक्मरान जब अपनी जनता के नहीं हो रहे तो फिर वे भारत के लोगों के प्रति क्या सह्दयता रखेंगे।

वहां अभी-अभी जवान हुए बिलावल भुट्टो जैसे युवा तथाकथित राजनीतिक भी हैं, जोकि ऐसी कौम का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जोकि खून को पानी की तरह बहाने की बात करते हैं। पाकिस्तान का रोम-रोम आज डर से कांप रहा है, उसे पता है कि चाहे कितने भी परमाणु बम की धमकी दे ले, लेकिन जब हिंदुस्तानी अपने इरादे पूरे करने उतरेंगे तो वे बम भी पटाखों से ज्यादा नहीं रह पाएंगे। शांति और सह अस्तित्व के पुजारी भारत के लिए यह घड़ी बेहद चुनौतीपूर्ण है। लेकिन उस पराक्रमी योद्धा की विवशता को कोई तो समझे जोकि दिल से चाहता है कि युद्ध न हो, लेकिन एक नपुंसक, कायर दुश्मन बार-बार उसे उकसा रहा है और उसे अपने शूरवीरता का परिचय देने को मजबूर कर रहा है।

भारत के अंदर तमाम लोग चाह रहे हैं कि पाकिस्तान को उसके किए का सबक जरूर मिले। यह वर्षों से जारी उस ठंडी आग को ज्वालामुखी बनाने का समय है, जोकि भारतीयों के सीने में धधक रही है। मामला वैश्विक समाज का है, जिसे भारत ने न जाने कितनी बार यह बताया है कि वह किस प्रकार आतंकवाद की तपिश झेलते-झेलते अब आजिज आ चुका है। वर्ष 1999 में भारत ने पाक की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया था, लेकिन बदले में उसे अपनी पीठ में कारगिल युद्ध का खंजर मिला। लेकिन इस दर्द को झेलते हुए भारत ने पाकिस्तान को वह सबक दिया था, जिसे वह कभी नहीं भूल सकता। अब एकबार फिर उसने कश्मीर में खुराफात करके और निर्दोष लोगों का खून बहाकर भारत की संप्रभुता और उसकी अखंडता को चुनौती दी है। निश्चित रूप से संयुक्त राष्ट्र समेत, दूसरे देश संयम बरतने की हिदायत दे रहे हैं, लेकिन वे सीधे पाकिस्तान को इसकी नसीहत क्यों नहीं देते कि वह आतंकवाद का पोषण बंद करे। अपने यहां आतंकियों की फैक्ट्रियों को चलाना बंद करे। अगर पाकिस्तान के बुजदिल हुक्मरान और उसकी फौज भारत के साथ दुश्मनी का यह दौर निभाना बंद कर देते तो मसला ही खत्म हो जाए। युद्ध अगर हुआ तो शांति स्थापित करने के लिए भारत की ओर से उठाया गया जरूरी कदम होगा, इस कदम में पूरा देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ है। हालांकि हमें कूटनीतिक युद्ध को प्राथमिकता देते रहना चाहिए और दुश्मन को उसी के दायरे में सीमित कर उसे ऐसी चोट देनी चाहिए कि वह हजारों वर्षों तक फिर सिर न उठा सके। 

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